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सरकारी क्रय केंद्र की सुस्ती से किसानों को नुकसान, निजी व्यापारियों की मनमानी जारी

संवाददाता शुभम शुक्ला कदौरा जालौन।
मंडी में सरकारी क्रय केंद्र अभी तक सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पाए हैं, जिससे किसान मजबूरी में अपनी उपज निजी व्यापारियों को कम दामों पर बेचने के लिए विवश हैं। शासन द्वारा गेहूं खरीद के लिए निर्धारित दर 2425 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन व्यापारी मनमानी करते हुए मात्र 2100 से 2250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदारी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब वे अपनी उपज का उचित मूल्य मांगते हैं, तो निजी व्यापारी उनकी फसल को गीला या कम गुणवत्ता वाला बताकर और अधिक कटौती करने का दबाव बनाते हैं। किसान विनीत, संदीप, मनोज सोनी, सत्येंद्र सिंह और अंशुल ने बताया कि यदि सरकारी क्रय केंद्र सुचारू रूप से चलते, तो उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिलता और वे निजी व्यापारियों की मनमानी से बच सकते थे।

इसके अलावा, किसानों ने मटर और गेहूं जैसी फसलों की बिक्री के दौरान एक डेढ़ किलो अतिरिक्त तौल लेने, बोरी के वजन तथा अन्य खर्चे जोड़कर अधिक कटौती करने की शिकायत की, जिससे उन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान श्याम सुंदर पूरे दिन मंडी परिसर में क्रय केंद्र के कांटे के शुभारंभ का इंतजार करते रहे। शाम को उन्हें आश्वासन मिला कि पल्लेदारों के न पहुंचने के कारण खरीद कार्य अगले दिन से शुरू किया जाएगा। जबकि दूसरी ओर, निजी व्यापारी हजारों क्विंटल गेहूं पहले ही खरीद चुके हैं।
इस मामले में मंडी सचिव रवि कुमार ने दावा किया कि सरकारी क्रय केंद्र खुला हुआ है और किसान स्वेच्छा से निजी व्यापारियों को अपनी फसल बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को सरकारी सुविधाओं के प्रति जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे निर्धारित दरों का लाभ उठा सकें।

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