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थाना फखरपुर क्षेत्र में खाद्य निरीक्षक की मिलीभगत से प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली का अवैध कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है।

रीता पाल

यह मछली, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है, पर भारत सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने वर्ष 2000 में प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद, स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण यह व्यापार बेरोकटोक जारी है। यह मछली दूषित पानी में भी जीवित रह सकती है और इसमें लेड और आयरन जैसे हानिकारक तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं

बहराइच के फ़ख़रपुर क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति देखी गई है, जहां बाजारों में प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली धड़ल्ले से बिक रही है। स्थानीय समाजसेवियों और भाजपा मीडिया प्रभारी ने इस पर चिंता जताई है, क्योंकि यह मछली खाने वालों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मछली का पालन और बिक्री पर्यावरण और जलीय जीवन के लिए भी हानिकारक है।

बहराइच जिले में भी अधिकारियों ने भारी मात्रा में प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली बरामद की है। सहायक मत्स्य निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने पिकअप वाहन से लगभग 9.5 कुंतल प्रतिबंधित मछली बरामद की, जिसे नष्ट कर दिया गया। यह मछली सीतापुर से नानपारा ले जाई जा रही थी। अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे इस मछली के व्यापार की सूचना दें, ताकि इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सके।

गोपालगंज जिले में भी थाई मांगुर मछली की बिक्री जोरों पर है, जबकि इसके पालन और बिक्री पर सजा और अर्थदंड का प्रावधान है। बिहार मत्स्य जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 और संशोधित 2007 के अनुसार, इन मछलियों का पालन, उत्पादन, संवर्धन आदि दंडनीय अपराध की श्रेणी में आते हैं। इसके बावजूद, जिले में इन मछलियों की बिक्री जारी है, जिससे स्थानीय लोग गंभीर बीमारियों के खतरे में हैं।

सहारनपुर में भी थाई मांगुर मछली के पालन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिला अधिकारी अखिलेश सिंह ने इस मछली के पालनकर्ताओं और विक्रेताओं पर सख्ती करने के निर्देश दिए हैं। यह मछली मांसाहारी होती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। इसके सेवन से कैंसर, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा होता है। अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे इस मछली का सेवन न करें और इसके व्यापार की सूचना दें। अब देखना यह है की खबर प्रकाशित होने के बाद बहराइच जिले के जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करते हैं या फिर ऐसे ही ठंडे टोकरी में डाल देते हैं

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