इरफान अली
जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह यादव ने जानकारी दी कि आम की सफल बागवानी के लिए सबसे पहला कदम अच्छी किस्म के पौधों का चयन और उनकी तैयारी है। इसके बाद खेत को गहराई से जोतकर समतल करना चाहिए और 1 मीटर लंबा, चौड़ा और गहरा गड्ढा खोदकर उसमें सड़ी गोबर की खाद मिलानी चाहिए। यदि खेत में दीमक की समस्या हो तो क्लोरपायरीफॉस पाउडर का उपयोग करना लाभकारी होता है। आम के पौधों की रोपाई के लिए वर्षा ऋतु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस समय पौधों को मिट्टी सहित सावधानी से निकालकर गड्ढों में रोपना चाहिए और आसपास की मिट्टी को दबाकर सिंचाई के लिए थाली बनानी चाहिए।
पौधों की नियमित देखभाल भी जरूरी है। विशेष रूप से युवा पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए। समय-समय पर खाद और उर्वरकों का प्रयोग करने के साथ-साथ खेत से खरपतवार हटाना तथा कीटों और बीमारियों से पौधों की सुरक्षा करना भी जरूरी है। पौधों को उचित आकार देने के लिए पूनिंग की जानी चाहिए। जब आम पूरी तरह पक जाएं, तब उनकी कटाई कर उचित तरीके से उनका भंडारण करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आम की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि और 5.5 से 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। वर्गाकार पद्धति से आम के पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों के बीच की दूरी किस्म के अनुसार 10 से 12 मीटर या 2.5 मीटर तक रखनी चाहिए। फूल आने के समय बारिश होने पर फसल पर विपरीत असर पड़ सकता है, इसलिए उस दौरान सिंचाई से बचना चाहिए। तेज हवा या आंधी से आम की फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए सुरक्षा के उपाय पहले से ही करने चाहिए.