Sitapur:- सड़क परिवहन विभाग सीतापुर में दलालों का बोलबाला

321

सीतापुर /खैराबाद में सड़क परिवहन विभाग के ऑफिस में दलालों का बोलबाला है। बिना दलालों के कोई कार्य आर.टी.ओ. ऑफिस में करवा पाना सम्भव नहीं। आर.टी.ओ. ऑफिस में तैनात बाबू ने अपने मातहत कर्मचारी रख रखे हैं इन कर्मचारियों का वेतन कौन दे रहा है किसके द्वारा यह कर्मचारी विभाग की सीटों पर बैठकर खुली दलाली कर रहे हैं यदि आपकी जेब में पैसा हो तो आरटीओ विभाग के सभी कार्य घर बैठे की हो जाते हैं जब फरियादी आर.टी.ओ. ऑफिस को लगातार आते हैं लेकिन उनका कोई भी कार्य नहीं हो पाता जिसके चलते फरियादियों को इन दलालों का सहारा लेना पड़ता है

दलाल इन फरियादियों से मोटी रकम वसूलते हैं जिनमें आर.टी.ओ. विभाग के कर्मचारियों से लेकर के इन प्राइवेट कर्मचारियों का भी हिस्सा शामिल होता है आरटीओ ऑफिस के सभी सीयूजी नंबर बंद रहते हैं जिससे फरियादी उच्चाधिकारियों को अपनी शिकायत नहीं पहुंचा पाते यह कहना लाजमी होगा क्या कहीं इन दलालों की पहुंच इन उच्चाधिकारियों तक भी तो नहीं है या इनके द्वारा ली गई दलाली में इन उच्चाधिकारियों का भी कहीं हिस्सा शामिल तो नहीं यह एक सोचनीय विषय है

आए दिन समाचार पत्रों में आरटीओ ऑफिस में दलालों का बोलबाला नाम से खबरें छपती रहती हैं खानापूर्ति के नाम पर कभी-कभी छापे भी डाल दिए जाते हैं लेकिन इन दलालों का कहना है कि आर.टी.ओ. ऑफिस की दलाली न कोई बंद करवा पाया है ना कोई बंद करवा पाएगा यदि आर.टी.ओ. ऑफिस चलेगा तो हम लोगों की भी दलाली चलती रहे गरीब से गरीब फरियादी इन दलालों के फेर में पड़कर अपनी मेहनत की कमाई इन दलालों को देकर काम करवाने में ही भलाई समझता है क्योंकि बिना इन दलालों के कोई भी सरकारी कर्मचारी इतने नियम कायदा कानून बता देते हैं कि आदमी लगातार कार्यालय के चक्कर ही काटता रहे।

हमारी टीम के द्वारा जब आर.टी.ओ. ऑफिस के आठ नंबर काउंटर पर बैठे सोनू रस्तोगी पुत्र लालमन रस्तोगी निवासी – खैराबाद जोकि प्राइवेट कर्मचारी हैं इनकी नियुक्ति किसके द्वारा की गई या जानकारी करना चाहा तो या अपनी सीट छोड़कर भाग गए और एक मैडम आकर इस सीट पर बैठ गई इसी तरह आर.टी.ओ. विभाग में बहुत से ऐसे लोग हैं जो कुर्सियों पर आकर सरकारी कर्मचारियों की भांति बैठ जाते हैं और बोली लगाना शुरू कर देते हैं जिसकी जेब में जितना ज्यादा पैसा होता है उसका काम उतनी जल्दी हो जाता है जिसकी जेब में पैसा नहीं होता उसको सिर्फ नियम कायदे व कानून का पाठ पढ़ाया जाता है अब देखना यह है कि इन दलालों पर सरकार शासन किस प्रकार रोक लगा पाती है या इसी तरह इन लोगों का धंधा फलता फूलता रहेगा