विधिक शिविर आयोजित कर महिलाओं को किया अधिकारों व हितों के प्रति जागरुक

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बदायूं से ब्यूरो चीफ विकास कुमार की रिपोर्ट।

बदायूँ : 21 जुलाई। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुक्रम में जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के निर्देशानुपालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा महिलाओं के हित संरक्षण के कानून से सम्बन्धित विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन जनपद बदायूं की तहसील बिसौली सभागार में आयोजित किया गया। शिविर का शुभारम्भ अपर जिला एव सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं सारिका गोयल की अध्यक्षता में किया गया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में कशिश सक्सेना एल0ए0डी0सी0 द्वारा महिलाओं के अधिकारों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया कि महिलाओं को शादी करने के उपरान्त ही मैरिज सर्टिफिकेट लेना चाहिए जिससे विदेश जाने के लिए पासपोर्ट आसानी से बनवाया जा सके, व लड़कियां चाहे तो अपने पिता की प्रोपर्टी में बराबर की हिस्सेदार हो सकती हैं उनको ये अधिकार मिले हुए है। अगर लड़कियों को कोई छेडता है तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं के लिए विधि व्यवस्था है।

कृष्णा देवी, अधिवक्ता/रिसोर्स पर्सन व संतोष कुमार सक्सेना, नामिका अधिवक्ता/रिसोर्स पर्सन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा विस्तृत रूप में परिवार, क्रिमिनल, सिविल, लेबर एवं मोटर दुर्घटना से सम्बन्धित विधिक प्रावधानों के सम्बन्ध में जानकारियां देते हुये अपील की गयी कि महिलायें सजग रहें ताकि उनका उत्पीड़न न हो सके।
मनीश कुमार-तृतीय, सिविल जज (जू0डि0), बिसौली, जनपद बदायूं द्वारा बताया गया कि आज तक की पूरी सर्विस में यह जाना है कि आज तक सास, ननद, ददिया सास, जिठानी, देवरानी, एक-दूसरे का उत्पीड़न, दहेज के आरोप लगाते रहेते हैं। पुरूष तो घर से 10 बजे नाश्ता कर मजदूरी या ऑफिस चले जाते हैं तभी महिलायें झगडा करना शुरू कर देती हैं और अपने घर में बहुओं से दहेज की मांग करने लगती हैं। इसी क्रम में किशोरों के बारे में अपराधी 18 साल से कम के होते हैं। जब कोई लड़का या लड़की द्वारा ऐसी कोई घटना कारित की जाती है, तो उनको न्यायालय किशोर न्याय बोर्ड को सूचना दे सकते हैं एवं ऐसे बच्चों की साइकलॉजी समझकर शिक्षित कर संरक्षित करने की जरूरत है, तभी उनका सुधार कर सकते हैं।

कालीचरन, अध्यक्ष, स्थाई लोक अदालत जनपद बदायूं, द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में स्थायी लोक अदालत गठित है। जहां से जनउपयोगी सेवायें जैसे बिजली-पानी एवं स्वास्थ के सम्बन्ध में सामान्य-जन को अनुतोष प्रदान किया जाता है। इसी क्रम में डॉ0 सुविधा महेश्वरी, स्त्री रोग विषेशज्ञ द्वारा अपने वक्तव्य में महिलाओं के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जानकारियां दी गयीं एवं महिलाओं को सरवाइकल कैंसर के बारे में जागरूक किया गया। इसके अतिरिक्त विडियो के माध्यम से सरवाइकल कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण एवं सरवाइकल कैंसर की टेस्टिंग एवं बचाव के बारे में विस्तार से जागरूक किया गया। एस0आई0 श्री माया राम, द्वारा महिलाओं हेतु सरकार द्वारा चलायी जा रही पुलिस व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से जानकारियां दी गयीं। मोहम्मद अजहर द्वारा कार्यक्रम का संचालन करते हुये सरकारी योजनाओं एवं तहसील स्तर के प्रावधानों के सम्बन्ध में जानकारियां दी गयी।

इसी क्रम में कल्पना जायसवाल, उप-जिलाधिकारी द्वारा सभी से अपील की गयी कि शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ जागरूक रहना अति-आवश्यक है। सभी को बेटा-बेटी में अन्तर नहीं करना चाहिए एवं दोनो को समान अधिकार मिलना चाहिए। यदि घर का बेटा सुबह 8 बजे घर से जाता है और शाम को लेट आता है तो उससे भी पूछ-ताछ किया जाना भी आवश्यक है। माता-पिता को बेटा-बेटी दोनों को गृह कार्य सिखाने चाहिए क्योंकि यह आज के समय में आवश्यक है।
शिविर के अन्त में सारिका गोयल अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा अपने वक्तव्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आम जनता की विधिक समस्याओं को किये जाने वाले उपचार से अवगत कराया। इसके साथ ही नालसा तथा राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा महिलाओं के लिये किये जाने वाले कार्यों की चर्चा की।

महिलाओं को अवगत कराया कि महिला सशक्तिकरण से वह अपने जीवन से जुडे सभी फैसले ले सकती है तथा समाज में अच्छी जगह बना सकती है। महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए आगे आना चाहिए। परिवार व समाज के साथ सामजस्य बनाना चाहिए। यदि उन पर अत्याचार होता है तो उनके विरूद्ध आवाज अवश्य उठानी चाहिए। क्योंकि कभी-कभी दहेज प्रताड़ना दहेज हत्या का रूप बन जाती है तथा लड़कियों के साथ की जाने वाली छेड़छाड़ बलात्कार जैसा जघन्य रूप ले सकती हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसी उन सभी महिलाओं के संरक्षण के लिए करवद्ध है जोकि अपनी आर्थिक सामाजिक परिस्थितियों के कारण अपने विरूद्ध होने वाले अत्याचार के विरूद्ध आवाज नहीं उठा सकती है। ऐेसे किसी अपराध के लिए निःशुल्क पैनल अधिवक्ता की व्यवस्था की गयी है। यदि महिला स्वंय जागरूक रहती है एवं सभी का सम्मान करती है तो परिवार व समाज भी उसका सम्मान करता है। महिलाओं के विरूद्ध होने वाले विभिन्न अपराध दहेज प्रताडना, दहेज हत्या छेड़छाड़, पाक्सो अधिनियम के प्रावधान, एसिड एटैक, अपहरण, महिलाओं की अवैध ट्रेफिकिंग आदि प्रावधानों को बताकर महिलाओं को जागरूक किया गया।

इसी क्रम में उनके द्वारा बताया गया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य आपके छोटे-छोटे विवादों को समझौते के आधार पर निस्तारित कराना है, जिसके लिऐ जनपद न्यायालय परिसर में मध्यस्थता केन्द्र खुला हुआ है। उक्त मध्यस्थता केन्द्र के सदस्यों/अधिवक्ताओं द्वारा दोनों पक्षों को बिठाकर समझौता कराया जाता है। जन उपयोगी सेवायें हैं से सम्बन्धित यदि कोई विवाद हो तो स्थायी लोक अदालत के माध्यम से निपटारा करा सकते हैं। इसके उपरान्त इस शिविर के अध्यक्ष की अनुमति से उक्त शिविर का समापन किया गया।