सवांददाता सोनी
जिला हमीरपुर ब्लॉक सुमेरपुर की ग्राम पंचायत बरुआ में ग्राम प्रधान छेदी लाल इन दिनों मनरेगा का काम मजदूरों की बजाय मशीनों से करवा रहें है। ऐसे में मजदूर काम के अभाव में अपने घर परिवार भी नही चला पाते हैं। विभागीय कर्मियों व ग्राम प्रधान छेदी लाल की जुगलबंदी का आलम है कि दर्जनों मजदूरों की पेट पर लात मार देते है।

बता दे की ग्राम पंचायत बरुआ में चल रहे मनरेगा योजनाओं के कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ है। जिसके कारण स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और वे पलायन करने को मजबूर हो रहे है। बताया जाता है कि बरुआ ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के द्वारा कोई भी कार्य मजदूरों से न कराकर जेसीबी मशीन से कराया जाता है।

सूत्रों के हवाले से पता चला है की मनरेगा योजना का एग्रीमेंट से पूर्व ही जेसीबी मशीन से कार्य करा लिया जाता है। बाद में पीआरएस के द्वारा सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है। मनरेगा योजना में इतनी बड़ी लापरवाही की जा रही है मगर अधिकारियों की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इससे न सिर्फ बेरोजगारी बढ़गी, सरकारी कार्यालयों में अराजकता भी बढ़ रही है। बेरोज़गारी की मार पहले की तरह आज भी लोगों के लिए बनी हुई है। अगर लोग बाहर पलायन करके काम करने जाते हैं तो वहां भी शोषण होता है। अगर गांव में काम करने को सोचते हैं तो काम नहीं मिलता। अगर काम मिलता है तो समय से मजदूरी नहीं मिलती। यही वजह है कि लोग काफ़ी परेशान रहते हैं।

सरकार ने इस उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना की शुरुआत की थी कि ग्रामीणों को गांव में ही रोज़गार मिलेगा लेकिन यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में ज़्यादातर फेल होती नज़र आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव में मजदूरों को रोज़गार नहीं मिलता। ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत बरुआ का है जहां पर इस पंचवर्षीय में जो भी काम मनरेगा के तहत हो रहे हैं, वह जेसीबी से करवाए जा रहे हैं। मज़दूर मजदूरी के लिए भटक रहा है।

गांव के मज़दूरों ने बताया कि उनके गांव में इस पंचवर्षीय में जब से ग्राम प्रधान छेदी लाल आये हैं तब से कई काम हुए हैं। लेकिन उन मजदूरों से काम न करवाकर जेसीबी से काम कराया जा रहा है। मज़दूरों के लिए बिना मज़दूरी के अपना परिवार पालना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण स्तर में मनरेगा योजना ही एक उन मजदूरों का सहारा है जिसके तहत वह काम कर सकते हैं।

इस तरह उच्च अधिकारीयों की आंखों मे धूल झोंककर मनरेगा योजना के साथ-साथ मजदूरों की रोटी से भी खिलवाड़ कर विभागीय कर्मी व ग्राम प्रधान छेदी लाल चांदी काट रहे हैं। वहीं मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से उनके परिजनों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।