कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद होने की खबर आते ही उनके पैतृक गांव बरडीहा दलपत मचा कोहराम

143

रिपोर्टर:- दिलीप सिंह, लार देवरिया

देवरिया जनपद के लार थाना क्षेत्र के ग्राम सभा बरडीहा दलपत के निवासी कैप्टन अंशुमान सिंह जोकि सेना में रेजीमेंट चिकित्सा अधिकारी के पद पर थे। उनकी पोस्टिंग के सियाचिन ग्लेशियर स्थित आर्मी कैंप थी। बुधवार के दिन आकस्मित सार्ट सर्कित की वजह से कैंप में आग लग गई उसी आग में देवरिया जिले के लाल कैप्टन अंशुमान सिंह बड़े हादसे में शहीद हो गए। उनके बारे में बताया जाय तो उनके पिता भी रवि प्रताप उर्फ अखिलेश प्रताप सिंह भी सेना में सूबेदार पद से रिटायर्ड थे। नौकरी में रहने के दौरान उन्होंने लखनऊ के राजाजी पुरम में अपना मकान बनवाया था।

वह पत्नी मंजू व बच्चों के साथ वही रहते थे। अंशुमान दो भाई और एक बहन है जिसमे कैप्टन अंशुमान बड़े थे और घनश्याम और बहन काम्या छोटे थे। काम्या एम बी बी एस कर रही है और घनश्याम भी पढ़ाई कर रहे है। पिता ने बताया कि अंशुमान ने कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई शिमला के सैनिक स्कूल में की 2020 में उन्होंने पुणे से एमबीबीएस किया। इसके बाद पहली पोस्टिंग आगरा के मिलिट्री हॉस्पिटल में हुए। एक साल तक यहां पोस्टिंग के बाद वह पूंछ की 12वीं बेताल बटालियन में मेडिकल ऑफिसर थे। एक माह पहले ही अंशुमान की पोस्टिंग सियाचिन में हुई थी। 15 दिन पहले ही वे कैंप में गए थे।

परिजनों ने बताया कि इसी साल 10 फरवरी को अंशुमान की शादी पंजाब के पठानकोट की स्मृति से बहुत ही धूम धाम से हुई थी। कैप्टन अंशुमान सिंह ने सियाचिन से मैदानी इलाके में ट्रांसफर होने के बाद वे स्मृति को अपने साथ ले जाने की बात कही थी लेकिन एक ही पल में सारी खुशियां बिखर गई। उनके पैतृक गांव बरडीहा दलपत में दादा सत्यनारायण सिंह, दादी के अलावा उनके चाचा रहते थे। बुधवार की दोपहर पिता रवि प्रताप सिंह के मोबाइल पर रेजिमेंट से फोन आया अधिकारियों ने उन्हें जैसे ही सियाचिन में हुए हादसे के बारे में बताया उनके घर में कोहराम मच गया उस समय रवि प्रताप सिंह अपने लखनऊ स्थित आवास पर ही पत्नी के साथ उपस्थित थे। उन्होंने अन्य परिजनों को भी इस घटना के बारे में जानकारी दी वहीं अब उनके पैतृक गांव में शोक संवेदना व्यक्त करने लोग पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया की वह बहुत ही होनहार लड़के थे। उनके शहीद होने पर गांव सहित पूरे लार क्षेत्र में शोक की लहर है।
ब्रेकिंग
सियाचिन ग्लेशियर पर सेना के फाइबर ग्लास बंकर में आग लग गई। इसमें कई जवान अंदर ही फंस गए। यह देख अंशुमान अपनी साहस का परिचय देते हुए जवानों को बाहर निकालने में जुट गए। उन्होंने कई जवानों को बाहर निकाल अस्पताल के लिए भेजवाए। इसी दौरान वह आग के चपेट में आ गए। जिसके बाद शहीद हो गए।

सियाचिन के ग्लेशियर में बलिदान हुए लार ब्लाक के बरडीहा दलपत निवासी शहीद रेजिमेंटल मेडिकल आफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार शाम को उनके गांव पहुंच गया। इसकी सूचना मिलते ही हजारों की संख्या में लोग जुट गए हैं। भारत माता की जय के जयकारों से गांव गूंज रहा है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
शुक्रवार शाम को भागलपुर सरयू नदी तट पर गार्ड ऑफ ऑनर के बाद पिता रविप्रताप सिंह ने बेटे को नम आंखों से मुखाग्नि दी। यह दृश्य देख सभी की आंखें नम हो गईं।