अनीश खान

नैमिषारण्य/सीतापुर – सरकार लाख प्रयास कर रही आए दिन जागरूकता अभियान चला रही कहीं,सड़क सुरक्षा सप्ताह तो कहीं, चेकिंग अभियान तो कभी इंश्योरेंस के प्रति कंपनियां जागरूक कर रही है,फिर भी कुछ गाड़ी मालिकों पर कोई असर नहीं हो रहा।

नैमिषारण्य में ताजा मामला सामने आया है, बुजुर्ग ऑटो रिक्शा में सफर कर रहा था जो नैमिषारण्य का ही निवासी बताया जा रहा है ऑटो पलटने से बुजुर्ग के दोनों पैर टूट गए जब यह पता चला कि ऑटो रिक्शा का ना तो बीमा है ना ही फिटनेस है।

पिछले 2 सालों से ऐसे ही चल रहा है और यह भी देखिए कितने आश्चर्य की बात है बुजुर्ग की पत्नी ने थाने में शिकायत भी दर्ज करा दी है उसके बावजूद भी रोड पर धक्के से ऑटो चल रहा है बिना फिटनेस बीमा के ना खौफ है ना डर है ना कानून का कोई शिकंजा है।अक्सर गाड़ियों के बीमें नहीं पाए जाते हैं जब कोई दुर्घटना होती है।

तो गाड़ी मालिक जन सुविधा केंद्र, एजेंसी, बीमा कंपनियों के चक्कर लगाने लगती है बैक डेट में बीमा करा दो जो असंभव होता है,और कानूनी अपराध भी। एक सवाल यह भी है आखिर क्यों और कहां पर कमी है जो बिना बीमा और फिटनेस के गाड़ियां चल रही हैं जिन की शिकायतें करने पर भी कार्रवाई नहीं हो रही है समय पर क्या यही कारणों की वजह से गाड़ी मालिकों में कानून के प्रति खौफ नहीं रहा है।

सवाल यह भी है बुजुर्ग की क्या गलती थी ऑटो में सफर कर रहा था जिसका किराया भी दिया। उसके बावजूद उसकी मदद के लिए किसी ने नहीं कदम उठाया, जो अपने परिवार का जीवन यापन दैनिक मजदूरी ठेलिया चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था दोनों पैर टूट जाने के कारण से अब वह चलने फिरने में भी असमर्थ है तो घर का खर्च कैसे चलेगा दवाई का पैसा कहां से आएगा। क्या कोई उचित कार्यवाही होगी बुजुर्ग को इंसाफ मिल पायेगा।