ब्यूरो,रिपोर्ट हरिओम बुधौलिया

जनपद जालौन की सीमायें तीन ओर नदियों (बेतवा, यमुना, पहूज एवं सिंघ) से घिरी हुई हैं। विभिन्न श्रोतों से यह शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि नदी किनारे अवस्थित ग्राम पंचायतों के कतिपय व्यक्तियों या उस ग्राम के प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्ता के कारण इन नदियों में मौरंग/बालू का अवैध खनन एवं परिवहन कराया जा रहा है, जिससे राजस्व की क्षति हो रही है। उन्होंने नदी किनारे की ग्राम पंचायतों में अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण बनाये रखने एवं अवैध खनन करने वाले व्यक्तियों व माफियाओं की सूचना प्रशासन व पुलिस को उपलब्ध कराये जाने हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर निगरानी समितियां गठित की गई।

संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान, संबंधित ग्राम पंचायत के पूर्व ग्राम प्रधान, संबंधित ग्राम का चौकीदार। उन्होंने बताया कि यह निगरानी समिति सुनिश्चित करेगी कि पंचायती राज अधिनियम में दी गयी व्यवस्था के अन्तर्गत ग्राम पंचायत की सम्पत्ति को किसी प्रकार की क्षति की रोकथाम हेतु ग्राम समाज की भूमि पर किसी प्रकार का अवैध खनन व परिवहन न होने पाए। साथ ही यह समिति समीपस्थ नदी के घाटों से अथवा अन्य स्थानों व प्राकृतिक नालों से मौरम/बालू/बजरा का अवैध खनन पाये जाने की स्थिति में प्रभावी नियंत्रण निगरानी रखेगी तथा अवैध खनन व परिवहन की सूचना संबंधित उप जिलाधिकारी व थानाध्यक्ष को उपलब्ध कराना सुनिश्चत करेगी।

साथ ही क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान उनकी ग्राम पंचायत में मौरम का अवैध खनन व परिवहन होने की बात संज्ञान में आती है तो इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत की उक्त निगरानी समिति को उत्तरदायी माना जाना प्रशासनिक बाध्यता होगी। संबंधित ग्राम पंचायत चाहे तो ग्राम पंचायत की सम्पत्ति को क्षति से बचाये जाने हेतु उ0प्र0 पंचायत राज अधिनियम 1947 एवं नियम एवं नियमावलियाँ (अद्यतन संशोधित यथा विद्यमान) की धारा 112″ग” में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए उप विधि बना सकती है।