श्रीराम कथा मनुष्य को मर्यादाशील जीवन जीना सिखाती है – आचार्य विजय कान्त शांडिल्य

284

राम सहाय

सुलतानपुर/बल्दीराय क्षेत्र के ग्राम पंचायत हेमनापुर के कुड़वा गांव में चल रही अमृतमयी श्रीराम कथा में कथा व्यास परम् पूज्य आचार्य विजय कान्त शांडिल्य जी द्वारा कही जा रही पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौथे दिन की कथा में बताया गया कि रामकथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। यह बात मंगलवार को राम कथा के दौरान कथा व्यास महाराज ने कही।

उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान महाराज ने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। रामायण को प्रतिदिन श्रवण करने से मानसिक संतुलन ठीक रहता है। दुराचारी रावण की नकारात्मक सोच ने उसके पूरे कुल का विनाश कर दिया।

जो मनुष्य तुलसीदल की शरण आएगा वह हर प्रकार के दल-दल से बच जाएगा। तुलसी की माला भगवान की पहचान है हमें गले में तुलसी की माला पहनना चाहिए। गले में तुलसी की माला और मुख में राम यही हमारे सकारात्मक भाव होना चाहिए। ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को वन लेकर गए विश्वामित्र गुरु विश्वामित्र द्वारा प्रभु राम व लक्ष्मण की धनुर्विद्या की ख्याती सुनकर ऋषि विश्वामित्र उन्हें राजा दशरथ से मांगने आते हैं।

विश्वामित्र राजा दशरथ से कहते हैं कि जंगल में असुर उन्हें पूजा, हवन नहीं करने देते। ऋषि मुनियों को परेशान करते हैं। असुरों से हमे राम और लक्ष्मण ही बचा सकते हैं। दशरथ कहते हैं कि मेरे राम लखन अभी बालक हैं। वह ताकतवर असुरों से कैसे युद्ध कर पाएंगे। विश्वामित्र राम लक्ष्मण को लेकर जाने की जिद्द करते हैं। विश्वमित्र के नहीं मानने पर राजा दशरथ ने प्रभु राम और लक्ष्मण दोनों भाईयों को ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए विश्वामित्र के साथ वन में भेज दिया।कथा सुनने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।