• हिन्दू तथा मुस्लिम समाज के लोगों ने ताजिए के नीचे से निकल कर खुशहाली की मन्नत मांगी।

चंदौली जिलेभर में मोहर्रम अकीदत के साथ मनाया गया। हिन्दू तथा मुस्लिम समाज के लोगों ने ताजिए के नीचे से निकल कर खुशहाली की मन्नत मांगी। जुलूस में दोनों समुदायों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और देश की गंगा जमुनी तहजीब जिंदा रही। वही अलीनगर थाना क्षेत्र के लौंदा गांव में मंगलवार को अंजुमन जौवादियां की ओर से मुहर्रम मनाया गया। मुहर्रम कर्बला के 72 शहीदों की याद में किया जाता है।

ये कोई पर्व नहीं, बल्कि एक इंसानियत के लिए संदेश है। जो इमाम हुसैन ने कर्बला में आतंक फैलाये हुए यजीद के खिलाफ़ जंग की थी और अपने बहत्तर साथियों के साथ शहीद हो गये। गांव में मुहर्रम का जुलूस सोमवार शाम सगीर दादा के दरवाजे से ताजिया व अलम के साथ उठाया गया। जिसमें अजादार इमाम हुसैन की शहादत के गम में नौहाखानी व मात कर माहोल को गमगीन कर दिया। नेजामत कर रहे हाजी नुरूल हक ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम के नाती इमाम हुसैन ने अपनी जान देकर इस्लाम को बचाया। यह क़यामत तक क़ायम रहेगी।

उस समय के शासक यजीद ने इमाम हुसैन के परिवार सहित 72 साथियों को शहीद कर दिया था। अंत मे इमाम हुसैन का भी सिर धड़ से अलग कर दिया,फिर भी वह हार गया। इमाम हुसैन की इसी अजीम कुर्बानी पर शाबये बयाज परवेज़ अहमद लाडले ने कहा है कि इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।

वहीं मंगलवार को दोपहर बाद परवेज़ अहमद ‘लाडले’,अशरद जमाल पप्लू, आसिफ़ इकबाल, हाजी कशीमुद्दीन,तमशीर मिल्की ‘सिब्बल’ मो आकिब, मुख्तार अप्पू, फैज कैशपी आदि ने जब नौहा को पढ़ा तो वहां पर सैकड़ों की तायदात में खड़े जायरीन रो पड़े। जुलूस के दौरान विभिन्न स्थानों पर शरबत और ठण्डे पानी की व्यवस्था की गई।मुहर्रम ताजिया का जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने राहत की सांस ली।

इस मौके पर संरक्षक खुर्शीद प्रधान कमेटी अध्यक्ष आसिफ़ इकबाल,उपाध्यक्ष अशरफ जमाल राजू, कोषाध्यक्ष तुफैल राजू,एखलाक अहमद लख्खू,नन्हे नेता,अफरोज छोटे,अधिवक्ता फिरोज अहमद,पप्‍लू प्रधान,एमडी इंसाफ,फरहान अहमद पत्रकार,सद्दाम हुसैन,वसीम मिल्की,तारिक अली,फैजान साबरी,हारीस,मामून,मोजीब मिल्की बाबू आदि लोग रहे।