मालीपुर सामूहिक बलात्कार कांड – चीखती खामोशियां कह रही हैं कि दागी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाए

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ब्यूरो चीफ इंद्रेश यादव

उत्तर प्रदेश/अंबेडकर नगर जनपद की जर्जर कानून व्यवस्था रिश्वतखोरी और पावर गेम के अंधेरे में,लोग डरावनी ज़िंदगी जीने को मजबूर हो रहे हैं। आज कक्षा आठ में पढ़ने वाली 13 वर्ष की रजनी को आत्महत्या किए सप्ताह भर गुजरने को है। सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के परिजनों ने सरकार से लेकर एसपी और पुलिस थाने तक मदद मांगी। अपहरित रजनी दो दिन बाद किसी तरह से चलते फिरते अपने घर आई और घटना का ब्यौरा देकर नामजद एफ आई आर की अपील की 164 का बयान हुआ। सामूहिक बलात्कारियों का नाम एफ आई आर में के एप्लीकेशन में लिखा हुआ था।

मगर एफआईआर में गुनाहगारों का नाम नहीं लिखा गया।थानाध्यक्ष मालीपुर चंद्रभान यादव को,अपराधियों की तरफ से इतना अकूत धन उपलब्ध करा दिया गया था कि,थानेदार और जांच अधिकारी,पंचायत के नाम पर बार-बार रमेश उपाध्याय के घर कांनीपुर जाते और समझौता करने पर दबाव बनाते। आत्महत्या करने के एक दिन पहले भी, पीड़िता रजनी को लेडी पुलिस ने कई हाथ मारे थे कि तुम अपना बयान क्यों नहीं बदल देती।

इस घटनाक्रम में लोगों ने दबी जुबान से बताया कि 5 लाख रूपए से ज्यादा तो जिला पर गया है। गंदे लोगों की तरफ से पैसा पानी की तरह फेंका गया कानून व्यवस्था के जवाबदारों का ज़मीर तो कब का मर चुका था बंद होनी थी तो केवल रजनी की जुबान।न्याय ना पाने के चलते रजनी खुद परेशान थी ऊपर से आए दिन पुलिस की कुटाई उस पर भारी पड़ी।

और उसने बाईस दिन बाद गले में फांसी का फंदा लगाकर, अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया। नामजद आरोपियों को जो पुलिस पहले पकड़ने के लिए तैयार नहीं थी तमाम हीला हवाला कर रही थी मगर जैसे ही रजनी ने आत्महत्या किया उसके 36 घंटे के अंदर जादू के ज़ोर से सारे नामजद आरोपी तब ढूंढ लिए गए। जब जिला पुलिस के बड़े से बड़े लोगों की गर्दन फंसती हुई महसूस हुई। थाना अध्यक्ष चंद्रभान यादव और जांच अधिकारी प्रमोद कुमार खरवार को…

आनन-फानन में सस्पेंशन और निलंबन की कार्रवाई के दायरे में लाया गया। यह कौन से काबिलियत का नमूना था?
पीड़िता के लिए शहर के तिराहे पर विशाल जन समूह द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया जगह-जगह रजनी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गई। उसकी मौत का ठीकरा पुलिस पर फोड़ा गया ,उसे श्रद्धांजलि दी गई।

मीडिया अपने दम-खम के साथ पीड़िता के घर जाकर उसके परिजनों का बयान लेती हैं। पूरे बयान में पुलिस के प्रति आक्रोश और ,उनके अपनी गरीबी का रोना दिखाई देता है कानून व्यवस्था के उम्दा होने का नाज़ भले ही योगी सरकार कर ले ।लेकिन चुनाव के दिनों में यह बहुचर्चित रजनीकांड’ विपक्षी दलों के लिए एक हथियार के रूप में तेजाबी जहर ही साबित होगा बुलडोजर की गर्जना अंबेडकर नगर वासी नहीं सुन सके 4 दिन बाद सस्पेंडेड लोग बहाल कर दिए जाएंगे ।
जातीय महासभाएं कब किसको न्याय दिला पाती हैं?

अपनी सियासत चाहे जो जितना गर्म कर ले ।किंतु बेटी बचाओ का रास्ता,’सामूहिक बलात्कार’ के गलियारे से होकर नहीं गुजरना चाहिए। सफेद पोश बड़े लोगों के सदियों का शौक’ सेक्स रैकेट के ‘काले हाथ’ कहां तक बेटियों के जिस्म पर रेंग रहे हैं?इस प्रकरण पर बेहद उच्च स्तरीय जांच ही इस गंदगी से पर्दा उठा सकती है कि मामले का पूरा सच क्या है?दागी पुलिस कर्मियों को ‘सेवा मुक्त’ करना ही इस ज़ख्म का सच्चा मरहम होगा ।